कविता संग्रह >> अतिरिक्त नहीं अतिरिक्त नहींविनोद कुमार शुक्ल
|
0 |
"अतिरिक्त नहीं" – जहाँ मौन बोलता है, और शब्द उड़ान भरते हैं।
‘अतिरिक्त नहीं’ विनोद कुमार शुक्ल का एक अनूठा कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह में कवि के व्यंग्य, वक्रोक्ति और विट को एकसाथ देखा जा सकता है। चाहे घटना हो, सम्वेदना हो, वर्ण्य विषय हो या फिर भाषा हो—विनोद कुमार शुक्ल हर स्तर पर जाकर कविता को सम्भव करते हैं।
प्रस्तुत है ‘अतिरिक्त नहीं’ संग्रह से एक छोटी-सी कविता : शब्दहीनता में मैं किसी भी कविता के पहले मुक्ति को मुक्तियों में दुहराता हूँ शब्दशः नहीं ध्वनिशः एक झुण्ड पक्षियों का पंख फड़फड़ाकर उड़ जाता है।
|