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सामाजिक विमर्श >> जातिवाद और रंगभेद

जातिवाद और रंगभेद

शंभुनाथ

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :140
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14801
आईएसबीएन :9788181430700

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"जातिवाद और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष: समानता, सामाजिक न्याय और बुनियादी परिवर्तन की ओर।"

जातिवाद और रंगभेद मानवीय सम्बन्धों को संकुचित करने वाली ऐसी बर्बरताएँ हैं, जो दुनिया में आज भी क़ायम है। अफ्रीका में रंगभेद अपनी अन्तिम साँस ले रहा हो, लेकिन भारत में जातिवाद जनतान्त्रिक मूल्यों के विकास के रास्ते में आज भी अडिग खड़ा है। न राष्ट्रवाद उसका कुछ बिगाड़ पा रहा है, न विज्ञान। आधुनिकीकरण जितना तीव्र हो रहा है, अन्य रूढ़ियों के साथ जातिवाद भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रहा है। इसका अर्थ है कि विकास समाज में अखण्डता, विवेकपरकता और समानता का पोषण न कर विखण्डता, रूढ़िवाद और आर्थिक शोषण को ही उकसा रहा है। विकास के सारथी समाज को एक ऐसी अन्धेरी गली में ले जा रहा हैं, जहाँ आधुनिक सुख-सुविधाओं के बीच भी लोग आदिम सामाजिक जीवन के लिए क्षेत्रीयतावादी, सम्प्रदायावदी, जातिवादी संघर्षों के लिए अभिशप्त होंगे। भारत के साधारण अवाम को बुनियादी परविर्तन का अहसास कराने में जितना विलम्ब होगा, दरारें उतनी हीं बढ़ेंगी।

अनुक्रम

  • दूसरे नवजागरण की ओर/शंभुनाथ
  • इतिहास का संघर्ष/दस्तावेज
  • सबै जात गोपाल की/भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  • पटीदार और अंत्यज/महात्मा गांधी
  • कलुवा/अस्किन कॉडवेल
  • अलविदा अफ्रीका !/न्गूगी वा थिआंग ओ
  • क्या हम वास्तव में राष्ट्रवादी हैं ?/प्रेमचंद
  • जाति प्रथा का विनाश/भीमराव आंबेडकर
  • इतिहास की चुनौती/सच्चिदानंद सिन्हा
  • गाँव से शहर तक/बालेश्वर राय
  • मेरी जाति/जयप्रकाश कर्दम
  • मुसलमानों में ऊँच-नीच/सुहेल वहीद
  • जाति जहर क्‍यों बन गई/कंवल भारती
  • जातिविहीन समाज का सपना/धर्मवीर
  • आरक्षण तो सवर्णों का होना चाहिए/रणजीत
  • सामाजिक न्याय, मीडिया और गांधी/मस्तराम कपूर

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