सामाजिक विमर्श >> फतवे उलेमा और उनकी दुनिया फतवे उलेमा और उनकी दुनियाअरुण शौरी
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फतवे उलेमा और उनकी दुनिया
एक मुसलमान का किसी भारत जैसे गैर-मुस्लिम देश के प्रति क्या रुख होना चाहिए ? काफिरों के प्रति उसका व्यवहार कैसा होना चाहिए ? क्या उसे, जो कुछ गैर-मुस्लिम करते हैं उससे उलट करना चाहिए ? क्या उसे वही करना चाहिए जिससे वे हतोत्साहित हों ? क्या जिहाद को काफिरों के खिलाफ कयानत तक चलने वाला सिलसिला बताया गया है ? क्या मुसलमान को विज्ञान की उन नयी खोजों को स्वीकार कर लेना चाहिए जो कुरान और हदीस की मान्यताओं के विरुद्ध जाती हैं और पुरानी खोजों का खण्डन करती हैं-जैसे कि पृथ्वी गोल है, यह पृथ्वी के इर्द-गिर्द चक्कर काटती है। कहा जाता है कि इस्लाम की संहिता मुकम्मिल है, और इसे बताने और लागू करने का काम फतवों के माध्यम से होता है। इस तरह से फतवों की पुस्तकें कानून की रिपोर्टों के समकक्ष होती हैं और ये शरियत का सक्रिय रूप होती हैं। ये मुसलमान समुदाय के उन उच्चतम और सर्वाधिक प्रभावशाली उलेमा द्वारा रचित कृतियाँ हैं, जो उसे रूप एवं दिशा प्रदान करते हैं।
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