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स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आदर्श भोजन

आदर्श भोजन

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1499
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...

1. भोजन क्या है

जिन चीजों से शरीर का पोषण होता है, वे चीजें, जिनको खाकर शरीर में बल पहुंचाया जाता है, भोजन कहलाती हैं। सब्ज़ियां और फल मनुष्य के लिए स्वाभाविक और अनिवार्य भोजन हैं। इनसे मनुष्य को स्वास्थ्य-लाभ होता है।

दिन-रात काम करते रहने से हमारे शरीर की शक्ति खर्च होती रहती है। स्वस्थ रहने के लिए शरीर को अपनी इस कमी को पूरा करना आवश्यक है। यदि इस कमी को पूरा न किया जाए तो मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवन का अन्त हो जाए। शरीर की इस कमी को पूरा करने और इन्द्रियों को शक्तिशाली बनाए रखने के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है। उस भोजन में इन तत्त्वों का होना अत्यन्त आवश्यक है : प्रोटीन, कार्बोज, चिकनाई, लोहा, पोटाशियम, चूना और सोडा।

उपर्युक्त तत्त्व प्राकृतिक भोजन में पाए जाते हैं। दूध, मलाई, पनीर, मटर, लोबिया, अन्न आदि में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। बहुत-सी सब्जियों, फलों, चावल तथा अनाज में कार्बोज पाया जाता है। प्राय: सब प्रोटीन वाले भोजनों, सब्जियों, तेल तथा घी में चिकनाई होती है। लोहा, पोटाशियम, चूना और सोडा जो शरीर की गन्दगी को बाहर निकालने, खून को साफ करने तथा विद्युत-शक्ति को पैदा करने में सहायक हैं, साग-सब्जियों में बहुत पाए जाते हैं। मांस अपूर्ण भोजन है। इसलिए उसके साथ दूध, कार्बोज, फल एवं खनिज पदार्थ बिना खाए शरीर की कमी पूरी नहीं होती। एक स्वस्थ जवान आदमी को प्रतिदिन के भोजन में प्रोटीन 4-1/2 औंस, चिकनाई 3 औंस, शर्करा 14 औंस, लवण 1 औंस, कुल 22-1/2 औंस की मात्रा आवश्यक है।

मटर, लोबिया में 23 से 30 प्रतिशत तक प्रोटीन और 55 से 58 प्रतिशत तक स्टार्च होता है तथा मांस में 8 से 18 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है। मांस में कार्बोज बिलकुल नहीं होता। मांस में चर्बी उत्पादक तत्त्व अधिक और भोजन-तत्त्व कम हैं। मांस में 30 प्रतिशत भोजन-तत्त्व और 70 प्रतिशत जल है, जबकि जौ में 10 प्रतिशत जल और शेष भोजन-तत्त्व हैं। यह सच है कि अनेक सब्जियों में 90 प्रतिशत तक जल है किन्तु वह जल शुद्ध रस-पदार्थ है। गेहूं तथा दालों में 8 से 15 और सूखे मेवों में 17 से 2० प्रतिशत तक जल होता है।

प्राय: सभी शाकों में थोड़ा-थोड़ा काष्ठोज होता है। इसलिए शाक को पकाकर खाना ही उत्तम है। बथुआ, मेथी, सोया इत्यादि हरे शाकों में कई प्रकार के उड़ने वाले तेल होते हैं। इसी कारण इन शाकों में अधिक गन्ध होती है यद्यपि शाकों में पौष्टिक पदार्थ बहुत कम होते हैं तथापि शाक भोजन में अवश्य ही होने चाहिए, क्योंकि इनमें कई प्रकार के लवण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। सोया, कुल्फा, पालक, तोरई, परबल, घीया और कद्दू रोगी के लिए पथ्य हैं। साबूदाने में कार्बोज 86.7 प्रतिशत और अरारोट में 82.5 प्रतिशत होता है।

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