लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :390
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1530
आईएसबीएन :9788128812453

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

160 पाठक हैं

my experiment with truth का हिन्दी रूपान्तरण (अनुवादक - महाबीरप्रसाद पोद्दार)...


उससे स्पर्धा करने की तोमेरी शक्ति नहीं थी, पर अनुभव किया कि मैं एक कमरे में रह सकता हूँ और आधी रसोई अपने हाथ से भी बना सकता हूँ। इस प्रकार मैं हर पर महीने चार या पाँचपौण्ड में अपना निर्वाह कर सकता हूँ। सादी रहन-सहन पर पुस्तके भी पढ़ चीका था। दो कमरे छोड दिये और हफ्तें के आठ शिलिंग पर एक कमरा किराये पर लिया।एक अंगीठी खरीदी और सुबह का भोजन हाथ से बनना शुरू किया।

इसमें मुश्किल से बीस मिनट खर्च होते थे। ओटमील की लपसी बनाने और कोको ले लिएपानी उबालने में कितना समय लगता? दोपहर का भोजन बाहर कर लेता और शाम को फिर कोको बनाकर रोटी के साथ खा लेता। इस तरह मैं एक से सवा शिलिंग केअन्दर रोज के अपने भोजन की व्यवस्था करना सीख गया। यह मेरा अधिक से अधिक पढाई का समय था। जीवन सादा बन जाने से समय अधिक बचा। दूसरी बार परीक्षामें बैठा और पास हुआ।

पर पाठक यह न माने कि सादगी से मेरा जीवन नीरस बना होगा। उलटे, इन फेरफारों के कारण मेरी आन्तरिक और बाह्य स्थितिके बीच एकता पैदा हूई, कौटुम्बिक स्थिति के साथ मेरी रहन-सहन का मेंल बैठा, जीवन अधिक सारमय बना और मेरे आत्मानन्द का पार न रहा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book