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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


बादशाह शाहजहाँ की बेगम अमन्दबानो की मृत्यु बुरहानपुर में सन् १६२३-३२ के मध्य हुई। वहाँ एक उद्यान में उसका शव दफनाया गया। किन्तु लगभग छ: मास बाद उसे वहाँ से उखाड़कर आगरा ले जाया गया। यही एकमात्र विवरण किसी भी विवेकशील एवं विचारवान व्यक्ति को सचेत करने के लिए पर्याप्त था कि शाहजहाँ को एक पूर्वनिर्मित मकबरा मिल गया था। अन्यथा वह कब्र में भली भाँति दफनाए गए शव को वहाँ से उखाड़कर ६०० मील दूर क्यों ले गया? बिना किसी प्रयोजन विशेष के वह एक कब्र से दूसरी कब्र पर ले जाना पसन्द नहीं कर सकता था। किसी शाही बेगम का तो क्या साधारण व्यक्ति के शव के साथ भी यह खिलवाड़ नहीं किया जा सकता, और जबकि वह बेगम बादशाह को अत्यन्त प्रिय हो। ऐतिहासिक अनुसन्धान के प्रायेक स्तर पर इस प्रकार के परीक्षण का अभाव रहा है।

मुमताज़ के शव को यदि बुरहानपुर से हटाया गया है तो केवल इसलिए कि उस समय तक आगरा में जयसिंह का प्रासाद उसको दोबारा दफनाने के लिए प्राप्त कर लिया गया था। आगरा में मुमताज़ को दफनाने के लिए जो स्थान चुना गया वह बहुत ही हरा-भरा (सब्ज जमी) था जैसा कि बादशाहनामे में अंकित है। यह प्रकट करता है कि मानसिंह प्रासाद के चारों ओर सुन्दर राजकीय उद्यान था। उसके मध्य मानसिंह का प्रासाद था जो उन दिनों उसके पौत्र जयसिंह के अधिकार में था-ऐसा बादशाहनामा कहता है।

यह ध्यान देने की बात है कि राजा मानसिंह का प्रासाद कहने से यह अभिप्राय नहीं कि वह उसी के द्वारा बनवाया गया था। इसका केवल यही अभिप्राय कि जयसिंह के समय में उसको राजा मानसिंह का प्रासाद कहा जाता था क्योंकि मानसिंह इस प्रासाद का अन्तिम प्रमुख निवासी था। वह प्राचीन हिन्दू भवन था जो मानसिंह को उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ था और उसके बाद जयसिंह को। यहाँ यह भी स्मरण रखना चाहिए कि यह आवश्यक नहीं कि ताजमहल मानसिंह को पीढ़ी- दर-पीढ़ी से उत्तराधिकार में ही मिला होगा। ऐसे भवन, अन्य सम्पत्तियों की भांति क्रय, उपहार, दहेज, विजय और विनिमय में हस्तान्तरित होते रहते थे। समय-समय पर वह प्राचीन हिन्दू भवन विभिन्न व्यक्तियों के अधिकार में गया और फिर एक ऐसा भी समय आया जब यह विजेता मुसलमानों के हाथ में आया जैसाकि हम परवर्ती पृष्ठों में स्पष्ट करेंगे।

बादशाहनामे के अनुसार मुमताज़ का शव आगरा पहुँचने पर उसे राण्याधिकृत मानसिंह के प्रासाद के गुम्बद के तले दफनाया गया। इससे पूर्व इसमें हमें बताया गया है कि जयसिंह अपनी मूल्यवान पैतृक सम्पत्ति को राजकीय उपयोग में लेना अपने प्रति सम्मान प्रकट किया जाना समझता था। इस पर भी धार्मिक अन्धविश्वास के कारण यह उचित समझा गया कि इसके विनिमय में उसको सरकारी भूमि का एक टुकड़ा दे दिया जाय। यह विदित नहीं है कि वह कोई गाँव था, या खुला मैदान, या पथरीली पहाड़ी या और कोई ऐसी भूमि जिसका कि विवरण लिखित में देना सम्मानजनक नहीं समझा गया। परन्तु क्योंकि ऐसा कोई भी स्थान नहीं पाया गया जिसे कि प्रासाद के विनिमय में जयसिंह को दिया गया था, तो इतिहासकारों ने अपनी स्वच्छंदता का दुरुपयोग कर उसे खुली भूमि का टुकड़ा घोषित कर दिया। विवादास्पद बात पर भ्रम उत्पन्न करने के लिए उन्होंने निराधार ही यह भी अनुमान लगा लिया कि शाहजहाँ ने भी विनिमय में खुली भूमि का एक टुकड़ा प्राप्त किया। शाहजहाँ क्यों एक टुकड़े के लिए दूसरे टुकड़े का विनिमय करेगा? यदि उसने ऐसा किया था तो जयसिंह को दिये गए भूमि के टुकड़े के स्थान का संकेत क्यों नहीं किया? बादशाहनामे में स्पष्ट लिखा है कि जयसिंह को भूमि का टुकड़ा दिया गया और विनिमय में शाहजहाँ को मानसिंह का उद्यान-प्रासाद प्राप्त हुआ। यह एक ऐसा विस्तृत विवरण है जो सिद्ध करता है कि ताजमहल के सम्बन्ध में शाहजहाँ की सारी कहानी आदि से अन्त तक पूर्णतया कपोलकल्पित है।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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