सामाजिक >> सूखे पेड़ सब्ज पत्ते सूखे पेड़ सब्ज पत्तेगुलशन नन्दा
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गुलशन नंदा का एक अतिरोचक व मनोवैज्ञानिक उपन्यास
सूखे पेड़ सब्ज पत्ते
उस नारी की कहानी जिसका अस्तित्व एक सूखे पेड़ के रुण्ड-मुण्ड तने से अधिक महत्त्व नहीं रखता।
जिसकी भावनाएं और उमंगें मौत के सदृश ठण्डी पड़ गयी हैं—जिसका सौन्दर्य और आकर्षण भूलीबिसरी कहानी ही रह गया है, जिसकी कोमलता लोप और चंचलता जड़ हो चुकी है। ...फिर भी कभी; कभार, बीती सुहावनी घड़ियों की रंगीन स्मृतियां, क्षणिक रूप से जिसके मुख-मण्डल पर बहार ला देती हैं जैसे पुराने, शुष्क तने पर नई, कोमल और हरी पत्तियाँ।
श्री गुलशन नंदा का एक अति रोचक व मनोवैज्ञानिक उपन्यास ...
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