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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> शतवर्षीय जीवन

शतवर्षीय जीवन

शरत् चन्द्र अग्रवाल

प्रकाशक : विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :291
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15353
आईएसबीएन :0

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सौ वर्षों तक जीने की मानव की अभिलाषा...

मनोगतम्

विश्व प्रसिद्ध आर्य वानप्रस्थ आश्रम के प्रधान श्री शरत् चन्द्र अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘शतवर्षीय जीवन' पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई। दीर्घकाल तक, श्रवण, स्वाध्याय एवं चिन्तन आदि के द्वारा अपने मस्तिष्क को ज्ञान से एवं हृदय को श्रद्धा से परिपूरित कर लोक कल्याण की भावना से विरचित यह कृति प्रशंसनीय है। प्रत्येक मानव की यह अभिलाषा रहती है कि मैं सौ वर्ष की आयु प्राप्त करूं, मेरा जीवन सुरभित एवं आलोकित हो, मुझे आनन्द की प्राप्ति हो। इस महान् लक्ष्य की प्राप्ति के लिये हमें सुमार्ग का पथिक बनना होता है। तप एवं साधना के द्वारा हम जीवन में ऊंचे उठते हैं। विद्वान लेखक ने इसी दृष्टिकोण से पुस्तक का निर्माण किया है। इसमें शतवर्षीय जीवन के उपाय बताये गये हैं, ईश्वर प्राप्ति की पात्रता प्रतिपादित की है, स्वाध्याय एवं प्रवचन की अनिवार्यता की ओर संकेत किया है, द्वा सुपर्णा.... मन्त्र की व्याख्या करते हुए। त्रैतवाद की अवधारणा को सुस्पष्ट किया है, ओंकार की महिमा स्पष्ट की गई है। जिस धर्म के विषय में संसार में नाना प्रकार की भ्रान्तियाँ है, उनका निराकरण करते हुए धर्म का सत्य स्वरूप वर्णित किया है। इस प्रकार अनेकानेक जीवनोपयोगी विषयों का सुन्दर प्रतिपादन पुस्तक की गरिमा वृद्धि करता है। काव्यखण्ड में छोटी-बड़ी कवितायें हैं। सहज, सरल किन्तु सरस भाषा में विरचित इन कविताओं से जीवन का अर्थ समझ में आता है।

लेखक एवं कवि ने गद्य, पद्यात्मक पुस्तक की रचना कर समाज का बहुत उपकार किया है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस सुन्दर पुस्तक को पढ़कर कल्याण चाहने वाले भाई-बहनों का मार्ग दर्शन होगा, उन्हें प्रेरणा मिलेगी और वे श्रेष्ठ मार्ग पर चल पायेंगे।

मंगलाभिलाषी
प्रो० महावीर
उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी

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