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पद्मालयार्चन एवं ग्रह-स्तवन

डॉ. गुरु प्रसाद रस्तोगी

प्रकाशक : अर्चना प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1996
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15371
आईएसबीएन :0

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सर्वप्रथम मंत्रस्तरीय दोहों में प्रस्तुत - श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, रात्रि सूक्त

पद्मालयार्चन
सर्वप्रथम मंत्रस्तरीय दोहों में प्रस्तुत

श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, रात्रि सूक्त, त्रिकाल त्रिवेदरूपा गायत्री, देवी-स्तवन एवं विस्तृत पूजन विधान सहित। साथ में नवग्रह-स्तवन तथा ग्रह-पीड़ा निवारणार्थ नवग्रहों के पृथक-पृथक रक्षा कवच।


पुरोवाक्

डॉक्टर गुरुप्रसाद रस्तोगी में प्रतिभा, विद्या और सुसंस्कारों का अद्भुत समन्वय है, इसी सुगुण का फल ‘पद्मालयार्चन' नाम्नी उनकी यह अतीव सुन्दर और अतीव उपयोगी पुस्तक हैं। यदि यह कृति प्रकाश में आती है तो इसकी लोकप्रियता और लोकोपयोगिता असन्दिग्ध हैं। इसका कारण यह है कि धर्म के सिद्धान्त पक्ष के समान ही इसका कर्मकाण्ड-पक्ष भी सामान्य जन बोध से अर्थबोध के अभाव में प्रायः दूर पड़ता है, इस पुस्तक में डॉ० गुरुप्रसाद ने इस दूरी का निराश कर दिया है। सरल, सुबोध भाषा में मन्त्रस्तरीय श्लोकों के स्थानापन्न के रूप में जो पद्म अर्थात पद्य रूप दोहे प्रस्तुत किये हैं वे मनोज्ञ होने के साथ ही हमें अपने आराध्य के सर्वथा समीप ले जाने वाले लगते हैं और फिर विधान को सरल गद्य में समझाकर लक्ष्मी पूजा आदि को आपने और सुकर बना दिया है।

डॉ० रस्तोगी इस के लिए अभिनन्दन के पात्र हैं। आपके श्री सूक्त, लक्ष्मी-सूक्त, कनक-धारा-स्तोत्रादि सभी सुरम्य और व्यवहार्य हैं।

- सेवकवात्स्यायन
एफ-१३, किदवई नगर, कानपुर
दीपावलि-२०७४ विक्रमाब्द

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