श्री गणेशाय नमः
वर्ष भर के व्रत और त्यौहार
कब क्यों और कैसे मनाए जाते हैं
हिन्दुओं के व्रत त्यौहार
रीति-रिवाज एवं मांगलिक गीत
हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति का मूलाधार हैं, विभिन्न प्रकार के व्रत-त्यौहार व धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव। साल भर में मनाये जाने वाले सभी व्रत एवं त्यौहारों की तिथियां विधि-विधान, कथा-कहानियां, तथा मांगलिक उत्सवों व कार्तिक व श्रावण मास में गाये जाने वाले भजन, नेगचार व रीति-रिवाज पौराणिक प्रमाणों सहित, लोकगीत, नृत्य गीत आदि।
पूजा करने के विधान
पंचामृत- दही, दूध, चीनी, घी तथा शहद मिलाकर।
सतनजा (सप्तधान)- गेहूँ, जौ, तिल, चावल, मक्की, बाजरा तथा ज्वार।
(1) गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
(2) दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।
(3) रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्याकाल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
(4) दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए।
(5) प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा में अपने दोष, दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी।
(6) आरती करने वालों को प्रथम चरणों की चार बार, नाभि की दो बार और मुख की एक या तीन बार और समस्त अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए।
(7) पूजाघर में मूर्तियाँ 1, 3, 5, 7, 9, 11 इंच तक ही होनी चाहिये, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेशजी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए।
(8) मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें। मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है। अपने पूज्य माता-पिता तथा पितरों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें, उन्हें घर के नैऋत्य कोण में ही स्थापित करें।
(9) प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए। कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें। तुलसी का पूजन भी आवश्यक है।
(10) मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावे अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।
(11) कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य ही जलाना चाहिए, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो; वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।
(12) सेंधा नमक (राक साल्ट) घर में रखने से सुख श्री की वृद्धि होती है।
(13) आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोंछे, इस भाग में अत्यंत महत्त्वपूर्ण कोशिकाएं होती हैं।
- लेखिका