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महाशक्ति भारत

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, वाई. एस. राजन

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :126
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1565
आईएसबीएन :81-7315-533-x

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प्रस्तुत है महाशक्ति भारत..

Mahashakti bharat

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

इसमें अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए एक नए लक्ष्य निर्धारित करके उसे प्राप्त करने के उपायों का विश्लेषण करने के साथ ही देश के समग्र विकास में व्यक्तित्व और संस्थागत स्तर पर देशवासियों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका को पुस्तक में रेखांकित किया गया है।

ज्ञान का दीपक जलाए रखूँगा

‘हे भारतीय युवक
ज्ञानी-विज्ञानी
मानवता के प्रेमी
संकीर्ण तुच्छ लक्ष्य
की लालसा पाप है।
मेरे सपने बड़े
मैं मेहनत करूँगा
मेरा देश महान् हो
धनवान् हो, गुणवान् हो
यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है,
कहीं भी धरती पर,
उससे ऊपर या नीचे
दीप जलाए रखूँगा
जिससे मेरा देश महान् हो।’

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

साभार

‘महाशक्ति भारत’ हमारी पूर्व प्रकाशित पुस्तक ‘भारत 2020-नवनिर्माण की रूपरेखा’ पर आधारित है। इसे लिखते हुए मेरे विचारों को सैकड़ों भारतीयों द्वारा  आकार प्राप्त हुआ है, जिससे कुछ भली-भाँति परिचित हैं।

प्रत्येक संवाद हमारे को सुदृढ़ करता है और भारत की विकासरत आवश्यकताओं एवं कार्य की जरूरतों को नया आयाम देता है। सर्वप्रथम हम विभिन्न तकनीकी दृष्टि कार्यबल और पैनल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने पुस्तक के लेखन में हमारी मदद की। इसके साथ टाइफैक (TIFAC) की शासकीय इकाई और सदस्यों का प्रोत्साहन एवं मदद भी मिली। हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव प्रो.वी.एस. राममूर्ति को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने टाइफैक (TIFAC) की रिपोर्टों को उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहन और अनुमति प्रदान की। पुस्तक के लिखने के क्रम में एच. सेरेडियन का प्रयास प्रशंसनीय है। सयोनी बसु ने पूर्व विचारों को बहुत ही कौशल से संयोजित किया। जे.आर. कृष्णन ने इन सभी प्रयासों को एकरूपता देने का शानदार प्रयास किया, अतः दोनों के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
पुस्तक के लेखक के रूप में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हजारों भारतीय को धन्यवाद देना चाहेंगे, जो उन्हें कई अवसरों पर लिखते रहे और उन्हें भारत के लिए कई तकनीकी कार्यों के लिए प्रेरित करते रहे।

पुस्तक के सह-लेखक वाई.एस. राजन अपनी पत्नी श्रीमती गोमती को धन्यवाद देना चाहेंगे, जिन्होंने अपनी दृढ़ता एवं क्षमता का परिचय दिया और अपने बेटे डॉ. विक्रम राजन को भी सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।

आमुख

भारत की वर्तमान स्थिति पर दृष्टि डालें तो हम यह अनुभव कर सकते हैं कि हाल के भारतीय इतिहास में आज की यह आत्मनिर्भरता एवं आर्थिक विकास कल्पना से अधिक कुछ नहीं था। उत्तरोत्तर आर्थिक विकास, विकसित होने के अवसर एवं क्षेत्र, निरंतरता बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार और तकनीकी कुशलता के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मान्यता के बल पर आज भारत विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुका है। आज हम अपनी 54 करोड़ युवा शक्ति के साथ विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे भारतीय मूल के 20 करोड़ लोगों से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त विश्व के कई विकसित देशों द्वारा भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्रों की स्थापना सहित देश के अभियंताओं, वैज्ञानिकों और अन्य प्रतिभाओं पर प्रस्तावित निवेश के अवसर उपलब्ध हैं। सरकार देश के किसानों और कामगारों के कल्याण को बढ़ावा देने और उद्यमियों, व्यापारियों, वैज्ञानिकों, अभियंताओं एवं समाज के अन्य उत्पादकों की वृद्धि करने के साथ-साथ 7-8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, जब भारत की युवा शक्ति के समक्ष विकास के विभिन्न महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों—कृषि, उद्योग, सूचना तथा संचार तकनीक में कार्य करने के विशाल अवसर उपलब्ध हैं—हमारी इस पुस्तक की महत्ता अपेक्षाकृत बढ़ जाती है।
मुझे हजारों लोगों के पत्र और इ-मेल प्राप्त हुए हैं, जिनमें लिखा गया है कि पुस्तक के माध्यम से उन्हें एक लक्ष्य निर्धारित करने और उस पर साहसपूर्वक कार्य करने की प्रेरणा मिली है। जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग उसे संदर्भ स्रोत के रूप में प्रयोग में ला रहे हैं। विभिन्न व्यापारिक संस्थानों में भी इससे लघु एवं वृहद् स्तर के उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा ग्रहण की है। यह पुस्तक आज कुछ विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्क्रम का हिस्सा बन गई है। अन्य लेखकों एवं संपादकों ने अपनी पुस्तकों में इसके विभिन्न महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उद्धृत किया है।
यह पुस्तक ‘महाशक्ति भारत’ प्रमुख रूप से देश के नवयुवकों के लिए मार्ग दर्शक के रूप में तैयार की गई है। नए उद्यमियों के लिए भी यह समान रूप से उपयोगी है।

पुस्तक का आरंभ अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं मार्मिक प्रश्न से हुआ है—क्या भारत एक विकसित देश बन सकता है ? इसके अंतर्गत हमारी शक्तियों और मूलभूत कमजोरियों का विश्लेषण किया गया है और साथ ही प्रत्येक देशवासी से यह आशा व्यक्त की गई है कि वह भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के प्रति सामूहिक रूप से समर्पित रहे।
अगले पाँच अध्यायों में उन पाँच आधारभूत अद्योगों के बारे में चर्चा की गई है, जिनमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगले डेढ़ दशकों तक पर्याप्त आत्मविश्वास हासिल करने की आवश्यकता है। ये पाँच आधारभूत उद्योग हैं—कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, भौतिक वस्तुएँ एवं भविष्य, रसायन उद्योग एवं जैव-तकनीकी, भविष्य के लिए निर्माण तथा आयुध सामग्री उद्योग। इन उद्योगों के  के विकास के लिए पर्याप्त संभावनाएँ विद्यमान हैं। प्रत्येक अध्याय में यह सुझाव प्रस्तुत किया गया है कि संबंधित उद्योग क्षेत्र के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करके उस पर किस प्रकार कार्य किया जाए।


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