लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> हिन्दी उपन्यासों के आइने में थर्ड जेंडर

हिन्दी उपन्यासों के आइने में थर्ड जेंडर

विजेंद्र प्रताप सिंह

प्रकाशक : अमन प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15690
आईएसबीएन :9789386604019

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

वर्तमान दौर वंचितों एवं पीड़ितों की अस्मिता का दौर है, जिसका प्रमाण दलित, स्त्री तथा आदिवासी विमर्श है। पिछड़ा वर्ग, आर्थिक विपन्न वर्ग, व्यवस्था विमर्श आदि का साहित्य भी इसी ओर इंगन करता है। वंचित समुदायों में ही एक वर्ग हिजड़ा या किन्नर वर्ग। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा थर्ड जेंडर की अवधारणा स्पष्ट किए जाने के बाद से इस दिशा में भी सामाजिक एवं साहित्य सरगर्मी में तीव्रता परिलक्षित होने लगी है। प्रस्तुत आलोचनात्मक पुस्तक हिंदी साहित्य में थर्ड जेंडर समस्या पर रचित उपन्यासों पर आधारित है।

प्रस्तुत पुस्तक हिजड़ा समुदाय पर केंद्रित उपन्यासों के विवेचन पर ही आधारित है। इसमें शामिल किए गए उपन्यास थर्ड जेंडर समुदाय की जैविक संरचना, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक संरचना आदि पक्षों को बहुत ही गहनता से प्रस्तुत करने वाले उपन्यास है परंतु चारों की प्रकृति एवं प्रस्तुति में जहाँ कई साम्य हैं वहीं व्यतिरेक भी हैं। साम्य और व्यतिरेकी के कौन-कीन से बिंदु हैं ये स्थानाभाव में आमुख में उल्लखित कर पाना संभव नहीं हैं, उनसे आप इस पुस्तक को अपने हाथों में आने के बाद निश्चित रूप से हो पाएंगे।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book