धर्म एवं दर्शन >> श्रीरामचरित मानस (बालकाण्ड) श्रीरामचरित मानस (बालकाण्ड)योगेन्द्र प्रताप सिंह
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श्रीरामचरितमानस प्रथम सोपान बालकांड
आत्मकथ्य
गोस्वामी तुलसीदास ने सर्वप्रथम अयोध्याकांड की रचना की थी, पुनः बालकांड की। श्रीरामचरितमानस के समापन के बाद, इस बालकांड की प्रस्तावना को कवि ने सबसे अन्त में लिखा था, ऐसा विद्वानों का मत है। कुमारी शार्तल बोदबील, डॉ० माताप्रसाद गुप्त एवं फादर कामिल बुल्के आदि ने इस सम्बन्ध में पर्याप्त तर्क दिए हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने बालकांड की रचना कई प्रयासों में पूर्ण की है, विशेष रूप से, कविता सम्बन्धी अपने मन्तव्यों को श्रीरामचरित मानस के समापन के बाद उन्होंने पूरा किया है। बालकांड के प्रारम्भिक अंशों की गम्भीरता, गहनता तथा वैदुष्य का साम्य मानस के उत्तरकांड से है, और वह कवि के मूल्यवान् चिन्तन का सार तत्त्व है। इसकी तुलना आज के कवियों के आत्मालोचन सम्बन्धी कथ्यों से किया जा सकता है। व्यवस्थित, सारवान् तथा निष्कर्षबद्ध कविता-रचनाविषयक कवि की इन टिप्पणियों से इस तथ्य का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रस्तुत कवि का रचनाधर्मी व्यक्तित्व श्रीरामचरितमानस में सर्वत्र जागरूक तथा सचेष्ट है। इस सम्पादन तथा व्याख्या का मन्तव्य रचनाधर्मी कवि के इसी स्वभाव को उद्घाटित करना है।
आशा है, यह व्याख्या मानस-प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करेगी।
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