नई पुस्तकें >> गुलदस्ता गुलदस्ताप्रेम नारायण तिवारी 'प्रेम'
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प्रेम नारायण तिवारी की गजलें
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ग़ज़ल में अरबी, फ़ारसी और उर्दू का दैहिक प्रेम हिन्दी में ग़ज़ल को देश प्रेम तक व्यापकता देकर एक ऩई हिन्दुस्तानी (गंगा-जमुनी) तहज़ीब को जन्म देकर मानव मात्र से प्रेम करना सिखाता है।
विवादी और परिवादी इतिहास से परे मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो ग़ज़ल बुनियादी तौर पर प्रेम के आंतरिक सौंन्दर्य का दर्शन शास्त्र है, जहाँ भावात्मक समर्पण लौकिक व पारलौकिक प्रेम के बीच सेतु सरीखा हो जाता है।
गुलदस्ता के ग़ज़लगो प्रेम नारायण तिवारी ऐसे ही संवेदी व समर्पित रचनाकार हैं जिनकी ग़ज़लों में मानवता और देश-प्रेम भाषा, धर्म, जाति से ऊपर उठकर छन्द-द्वन्द की परिधियों से मुक्त हो जाता है तथा अपनी सौंन्दर्य-दृष्टि से एक अलग भाव-जगत रचता है।
जीवन की समग्रता में संस्कारों, सम्वेदनाओं और मानव-मूल्यों की सुरक्षा संग्रह की ग़ज़लों का मुख्य स्वर है। नुक़्ताचीं निगाहों के अतिरिक्त सामान्य पाठक संग्रह का स्वागत करेंगे, ग़ज़लें उन्हें आल्हादित करेंगी, ऐसा विश्वास है।
संग्रह की सफलता हेतु मंगलकामनाओं सहित.....
- राजेन्द्र तिवारी
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