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विस्मृत रचनाकार : शिवरानी देवी

डॉ. क्षमा शंकर पांडेय

प्रकाशक : नयी किताब प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15760
आईएसबीएन :978-93-87187-92

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समीक्षात्मक पुस्तक

"शिवरानी जी को समझने और जानने की दिशा में किया गया यह प्रयास सीमित उपलब्ध सामग्री पर आधारित है । इसमें उनके दो कहानी संग्रह, चाँद की फाइलों में दबी असंकलित कहानियाँ एवं प्रेमचंद घर में ही है । हंस के कतिपय अंको के सम्पादक के रूप में उनकी सम्पादकीय एवं समकालीन अन्य पत्र पत्रिकाओं के पृष्ठों में दबी उनकी साहित्यिक सम्पदा भावी अध्येताओं की राह देख रही है, ‘स्त्री अध्ययन’, ‘स्त्री लेखन’ और ‘स्त्री विमर्श’ के रूप में अस्मिता की तलाश वाले युग में भी शिवरानी जी के पुनराविष्कार की जरूरत नहीं समझी गई । वे अपनी कहानियों के स्त्री चरित्रों के माध्यम से आज के स्त्री विमर्श में शामिल मुद्दों को धार दे रही थीं । स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान देने वाली शिवरानी जी केवल कलम से नही आचरण से भी स्त्री जीवन के बदलाव की मुहिम में सम्मिलित थीं । उनका इस तरह भुलाया जाना, दरअसल अपनी पंरपरा के मूल्यवान अंश से वंचित होना है । सुमन राजे की दी हुई संज्ञा ‘साँझी कथा’ के रूप में ‘प्रेमचंद घर मे’ लिख कर एक नयी विधा, एक नये तरह के लेखन की शुरूआत करने वाली शिवरानी जी का जो भी लेखन उपलब्ध है वह सही ढंग से मूल्यांकन की अपेक्षा तो रखता ही है ।

प्रस्तुत पुस्तक शिवरानी जी के लेखन से परिचय करने और कराने के क्रम में संभव हो सकी है । पुस्तक का असंकलित कहानियों का अध्याय अध्येताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है । ये कहानियाँ 1936 अर्थात प्रेमचंद के तिरोधान के उपरांत 1937 से 1941 तक के ‘चाँद’ मासिक के विभिन्न अंको में उपलब्ध हुई हैं जो उनके किसी संकलन में नहीं हैं । ‘नारी हृदय’ और ‘कौमुदी’ संकलन की कहानियों से भी पाठकों का बहुत परिचय नहीं है । ऐसे में यह प्रयास शिवरानी जी के लेखन के पाठ के प्रति अध्येताओं को आकर्षित करेगा । शिवरानी जी के लेखन से गुजरना, नवजागरण के स्त्री मानस के अन्तर्द्वन्दों से गुजरना है । परम्परा की चिंता और प्रगति की चाह, यह उस काल का सुनिश्चित अन्तर्विरोध है ।

- इसी पुस्तक से"

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