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और आखिरकार

जयंत पवार

प्रकाशक : सेतु प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :264
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15772
आईएसबीएन :9788195218486

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जयंत पवार की कहानियों में हमें बेहतरीन किस्म की किस्सागोई दिखाई देती है। बतियाने में जो सहजता होती है, अपनापा होता है, संक्षेप होता है, वह इन कहानियों में स्पष्टता से दिखाई देता है।

जयंत पवार की कहानियों में प्राकृतिक शिल्प, अप्रत्याशित प्रासंगिकता और विश्वसनीय यथार्थ है। इनकी कहानियों में मानवीय करुणा ओतप्रोत दिखाई देती है। दृश्यात्मकता और नाटकीयता की उपस्थिति कहानियों को अधिक पठनीय तथा असरदार बनाती है।

अपनी कहानियों में वे सत्ता पर सीधा तीर चलाने की जगह व्यंग्यात्मक शक्ति से तीखा प्रहार कर दमनकारी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हैं। जीने की त्रासदियों से उलझती उनकी कहानियाँ जादूई यथार्थ से रूबरू होकर मानव मन के अंतर्विश्व की अबूझ भूमि को विश्वसनीय तरीके से यथार्थ से जोड़ देती हैं। ये कहानियाँ अपने आप फैंटसी के रास्तों की तलाश करती हैं।

धार्मिक उन्माद। ‘सांस्कृतिक दहशतगर्दी’ सत्ता की विकरालता के बारे में प्रभावी प्रतिरोध जताती ये कहानियाँ मानव जीवन को बदहाली तथा क्रूरता बहाल करने वाली बाजार की ताकत के बारे में भी आगाह करती हैं।

हमारे समय को और यथार्थ को ठोस जुबान देतीं इन कहानियों के अनुवादों से डॉ. गोरख थोरात ने आधुनिक भारतीय कहानी की सशक्त धारा का विश्वसनीय रूप पाठकों के सामने रखा है।

– प्रफुल्ल शिलेदार

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