जीवनी/आत्मकथा >> प्रेम और कांति : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ प्रेम और कांति : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़अली मदीह हाशमी
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फ़ैज़ अहमद फैज़ अपने जीवन-काल में ही राष्ट्रीय सीमाओं से परे अनेक मुल्कों के शायर थे और वह एक विश्व-कवि के रूप में दिवंगत हुए।
‘प्रेम और क्रांति’ हालिया ज़माने के सबसे मशहूर उर्दू शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की पहली मुकम्मल जीवनी है। यह उस शख्स के विभिन्न पक्षों को सामने लाती है-एक एक्टिविस्ट, एक क्रांतिकारी, एक पारिवारिक व्यक्ति, ज़िंदगी को गहराई से समझने वाला एक इनसान-और उनकी ज़िंदगी और ज़माने के संदर्भो में उनकी शायरी की बाबत एक समझ भी पेश करती है।
विभाजन की महाविभीषिका अपनी आँखों देख चुके फ़ैज़ ने उसे अपनी शायरी के ज़रिये भी समझने की कोशिश की। पाकिस्तान की शक्ल में नये बने राष्ट्र में उन्होंने अहम भूमिका निभायी, न सिर्फ सांस्कृतिक दूत के तौर पर बल्कि पत्रकार और असहमति की एक ख़ास आवाज़ के रूप में भी, जिसे किसी भी सूरत में कभी ख़ामोश नहीं किया जा सका। फ़ैज़ ने कई दीर्घजीवी सांस्कृतिक संस्थान भी खड़े किये। वह एक शिक्षाविद् भी थे। उन्हें मरणोपरांत पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से विभूषित किया गया, पर अपने जीवन-काल में उन्होंने अपने वामपंथी रुझान तथा निरंकुश सरकारों की मुखर आलोचना के कारण कई बार जेल की सजा भुगती और फाँसी के खतरे का भी सामना किया।
फ़ैज़ के नाती द्वारा लिखी गयी यह किताब पाठकों के लिए फ़ैज़ को जानने-समझने का एक विरल माध्यम है।
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