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नागरिकता (लेख-निबंध)

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15870
आईएसबीएन :978-1-61301-667-1

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दार्शनिक-वैचारिक लेख संग्रह

दो शब्द

 

हिन्दी साहित्य में हमेशा निबंध का विशेष स्थान रहा है। निबंध ह्रदय परिवर्तन कार्य करते हैं। जीवन को नई दिशा प्रदान करते हैं। विद्वानों ने कहा है कि साहित्य समाज का दर्पण है। जब-जब समाज में भटकाव आया है साहित्यकारों ने अपनी कलम उठाकर समाज को नई दिशा प्रदान की।

मैंने इस पुस्तक में देश की विषम परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए नागरिकता पर बल दिया है। जिस देश का नागरिक अपने सामने की सड़क को अपना समझता है। सड़क पर गड्ढा हो जाने पर उस गड्ढे को कंकड़ पत्थर से पूरा कर देता है, वह देश का सच्चा नागरिक है।

रास्ते चलते हुए अगर किसी ने गलती से सड़क पर केले का छिलका डाल दिया है। एक व्यक्ति रुककर उस छिलके को हटा देता है ताकि कोई राही फिसल कर गिर न पड़े, वह देश का सच्चा नागरिक है। सड़क पर पड़ी हुई कील को रास्ते से हटाता है उसे नागरिकता की परिभाषा मालूम है।

नागरिकता मनुष्य को देश के प्रति प्रेम और सौहार्द से जीना सिखाती है। आदमी से आदमी को जोड़ती है। देश के प्रति मनुष्य को क्या-क्या कर्तव्य करना है, जैसे देश के प्रति स्नेह भाव से लोगों को जोड़ना है, स्नेह भाव से जोड़ना सिखाती है। नागरिकता देश की वह कुंजी है जो देश को प्रफुल्लित करते हुए विश्व में अपना श्रेष्ठ स्थान दिलाती है। जिस देश के नागरिक को नागरिकता की सही परिभाषा मालूम है। अतः देश के विकास के लिए हर नागरिक को अपना कार्य मालूम होना चाहिए। मैंने इस पुस्तक में नागरिकता के भाव भरे हैं। पाठक को पुस्तक अवश्य उपयोगी सिद्ध होगी, यह मेरा सौभाग्य होगा।

 

- डा. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा
बी.ए.एम.एस., एम.ए., पी.एच-डी.
डाइरेक्टर
प्रकाश नर्सिंग होम, चौबेपुर, कानपुर नगर
प्रबन्धक
ओ३म् श्री विश्वकर्मा जी महाविद्यालय, कहिंजरी, कानपुर देहात

 

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