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पुद्दन कथा : कोरोना काल में गाँव गिराव

देवेश

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :126
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15875
आईएसबीएन :9789391950262

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एक रहे पुद्दन। गाँव रहा नरहरपुर। वे चले ससुराल–नौशादपुर। ब्याह था साली का। दौर था कोरोना का। वायरस की थी उत्सवों और मेलजोल से यारी। फैलाने लगा अपना पंजा। लोगों ने जिसे लिया हल्के में, वही पड़ा भारी। और उनकी बिंदास जिंदगी पर डाल दिया डर और आशंकाओं का जाल। फिर क्या हुआ ? क्या हो सकी पुद्दन की साली की शादी ? कथा बीच नउनिया की कथा क्या है ? क्या होता है उसकी जिंदगी में ? जयनाथ का आइसोलेशन गाँव में कौतूहल क्यों है ? मखंचू शहर से लौटकर गाँव में क्या पाता है ?

किरदारों की ठेलमठेल भीड़ नहीं है। जो हैं उनका असर गहरा होता है कथा पढ़ते हुए। अपनी-अपनी अच्छाई और बुराई के साथ जिंदादिल लोग हैं। धोखे और विश्वास, प्रपंच और लगाव से भरे हुए। सारी मुसीबतों के बीच वे रोते-रोते हँसी-ठट्ठा भी कर लेते हैं। गीत भी गा लेते हैं।

पुद्दन कथा गाँव-गिराँव की कोरोनाकालीन ऐसी कथात्मक रपट है जिसे पढ़ते हुए आँखें भर आती हैं। गुदगुदी उठती है। मुस्कान चुहल करती है।

एक प्राणवान देशज कथा!

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