संचयन >> कमला प्रसाद मिश्र काव्य संचयन कमला प्रसाद मिश्र काव्य संचयनसुरेश ऋतुपर्ण
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‘‘आज जिन देशों में प्रवासी भारतीयों और हिंदी भाषा बोलने वालों का बाहुल्य है, उन देशों में लिखी जा रही हिंदी कविता का सशक्ततम रूप फीजी के पं. कमला प्रसाद मिश्र की कविताओं में मिलता है। मिश्र जी की काव्य-संवेदना का विस्तार विश्वव्यापी है। उनकी कविता में समाई विषयों की विविधता आश्चर्य चकित करने वाली है। विश्व फलक पर घटने वाली घटनाओं से लेकर मनुष्य के अंतस्तल में छिपे गहरे भावों की मार्मिक अभिव्यक्ति उनकी कविताओं में मिलती है। इसीलिए यह कहना अत्युक्ति न होगी कि उनकी कविता का भाव-सौंदर्य एवं शिल्प का लालित्य भारत के अनेक कवियों के काव्य-सौंदर्य से कम नहीं है। पं. कमला प्रसाद मिश्र की कविताएँ ऐसा कुन्दन हैं जिसका खरापन समय सिद्ध है। हिंदी साहित्य के इतिहास में जब भी प्रवासी भारतीयों की हिंदी-साहित्य सेवा का अध्याय लिखा जाएगा तो उसमें पं. कमला प्रसाद मिश्र के विपुल काव्य-साहित्य का महत्त्व एवं उनके विशिष्ट योगदान को निश्चय ही स्वीकारा जाएगा।’’
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