विविध >> तांत्रिक सिद्धियाँ तांत्रिक सिद्धियाँडॉ. नारायण दत्त श्रीमाली
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लब्ध प्रतिष्ठित ताँत्रिक सम्राट डा. नारायणदत्त श्रीमाली के जीवन के महान अनुभव
डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली : एक परिचय
सद्गुरुदेव डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली, जिनका संन्यस्त नाम परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी है, ने इस ज्ञान को जन-जन की भाषा में विस्तृत रूप से प्रदान करने हेतु संकल्प लिया। अपने जीवन की 65 वर्षों की यात्रा में मानव मात्र के लिए उन्होंने ज्ञान का अमूल्य भंडार खोल दिया, क्योंकि उनका कहना था कि ज्ञान ही शाश्वत है।
इस संकल्प की पूर्ति हेतु पूज्यश्री ने पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया और उन अज्ञात रहस्यों की खोज की, जिनके कारण मानव जीवन परिष्कृत और मधुर बन सकता है। संसार में रहकर सांसारिक जीवन को भी पूर्णता के साथ जिया, क्योंकि उनका यह सिद्धांत था कि गृहस्थ जीवन की समस्याओं के पूर्ण ज्ञान हेतु गृहस्थ बनना भी आवश्यक है। अनुभव प्राप्त करके ही शुद्ध ज्ञान प्रदान किया जा सकता है। उनके द्वारा रचित सैकड़ों ग्रंथों में मनुष्य के जीवन में त्रास को मिटाकर संतोष और तृप्ति प्रदान करने की भावना ही निहित है। इसी क्रम में उन्होंने मंत्र-शास्त्र, तंत्र-शास्त्र, सम्मोहन-विज्ञान, ज्योतिष, हस्तरेखा-शास्त्र, आयुर्वेद इत्यादि को वैज्ञानिक एवं तार्किक रूप से भी स्पष्ट किया।
इसी क्रम में उन्होंने सन् 1981 में 'मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान' मासिक पत्रिका प्रारम्भ की, जिसके माध्यम से सारे रहस्यों को स्पष्ट किया। इस ज्ञान प्रदीपिका ने मानो भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की धरोहर स्थापित कर दी है। यह पत्रिका ज्ञान का वह भंडार है, जो मानव जीवन के प्रत्येक पहलू से संबंधित सभी समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करने के साथ-साथ जीवन को ऊर्ध्वमुखी गति प्रदान करने की दिशा में क्रियाशील बनाने का सार्थक प्रयास है।
अपना कार्य पूर्ण कर देने के पश्चात 3 जुलाई, 1998 को सांसारिक काया को त्याग कर वह परमात्मा के साथ समाहित हो गए, परंतु उनके आशीर्वाद स्वरूप उनके द्वारा स्थापित 'अंतर्राष्ट्रीय सिद्धाश्रम साधक परिवार' और 'मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान' पत्रिका पूर्ण रूप से गतिशील है। उनका प्रदान किया हुआ ज्ञान ही इसका आधार है और ज्ञान की इस अजस्र गंगा में लाखों शिष्य सम्मिलित हैं।
- नन्दकिशोर श्रीमाली
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- तांत्रिक सिद्धियां