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लेख लिखे माटी ने

देवेन्द्र सफल

प्रकाशक : दीक्षा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :110
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16020
आईएसबीएन :000000000

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देवेन्द्र सफल का गीत-संग्रह

प्रो. रामस्वरूप सिन्दूर ने देवेन्द्र सफल के रूप में एक असफल गीतकार नहीं दिया है। एक सफल और असफल गीतकार होने की जो सर्वमान्य शर्ते हैं, उनकी बिना पर देवेन्द्र सफल मुझे भी एक खरे और मुकम्मिल गीतकार नजर आये हैं।

'नवांतर' के गीतों में 'सफल' ने अपनी निजता की परिथियों को अविच्छिन रखते हुए स्वानुभूति और परानुभूति में एकतरफा-तौर पर तादात्म्य स्थापित करने की एक ईमानदार कोशिश की है।

'सफल' के गीतों में अनावश्यक अलंकरण - संभार से बचा गया है और इन पर अतिशय बिंबधर्मी होने का आरोप भी नहीं लगाया जा सकता, फिर भी इन में कहीं कुछ ऐसा है जो मन को बरबस ही अपने रचाव के मोहक वलय में बाँधे रखता है।

- डॉ. देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र'


देवेन्द्र सफल के अधिकांश गीत अन्तर्मन के उद्वेलन से स्वतःस्फूर्जित हैं। इनमें कृत्रिमता नहीं है। श्वासों का संस्पर्श पाकर, हरे बाँस की वंशी जिस प्रकार पिहक उठती है, कवि की राग-चेतना से 'सफल' के ये गीत फूट निकले होंगे। देवेन्द्र सफल के गीतों की बनावट और बुनावट नितान्त सहज है।

रेखांकित करने योग्य एक विशेष बात यह है कि देवेन्द्र के गीतों में 'निर्गुणियाँ संत भक्तों - जैसी एकान्त समर्पण-भावना' और घनीभूत रागात्मकता के बीज विद्यमान हैं। इस कवि की एक और पहचान है। इसकी लयकारी में लोक गीतों - जैसी अनुगूंज के साथ, पाठक को हठात् अपने में समो लेने की क्षमता है।

- डॉ. रवीन्द्र भ्रमर

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    अनुक्रम

  1. आत्मकथ्य
  2. अनुक्रम

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