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नारी विमर्श >> सुंदरी

सुंदरी

सोनी केदार

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1603
आईएसबीएन :81-85828-60-1

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नारी की करुणा भी असीमित है और अभिशाप भी। मातृत्व दीनता के चरम को छू सकता है अपने कोख-जाये को कूड़े के ढेर या कि गटर में फेंककर वहीं महानता के शिखर को स्पर्श कर सकता है

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