कविता संग्रह >> चावल नये नये चावल नये नयेसुषमा सिंह
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भावपरक कवितायें
अनुक्रम
गीत/कविताएँ
1. तुम अधरों पर घिर गयीं फिर
2. घटायें घनी
3. बहुत थक गयी हूँ
4. लगने लगे हैं रात दिन
5. खोलो मन की बन्द खिड़कियाँ
6. हर एक आस
7. बूंद-बूंद सावन की
8. जो नहीं क्यों उसकी हो चाह
9. इन उलटी धाराओं में
10. पात झरने के बहाने हो गये
11. सूरज के नाम लिखी
12. मुझे न पूजो मैं कोई
13. इतने सारे प्रश्न चिन्ह क्यों
14. जो ठिठकते रहे
15. नन्हीं - नन्हीं बूंदें मुझसे
16. पावसी दोहे
17. मुझको मंजुल हास
18. घुमड़ कर आ गये
19. पा के पावस का
20. बेटियाँ है भोर की
21. नींद में डूबी हुई थीं
22. दुख की दीवारों पर
23. संगम नहान
24. सभ्यता न हो जाए
25. माँ मुझको परवान चढ़ाओ
26. यहाँ मधुमास रोता है
27. घिर आये घन सावन के
28. गीत जो भी लिखे
29. एक दीपक चलो बारें
ग़ज़ल
1. ये ज़मीं नहीं
2. यूँ की है हमने दोस्त तुझे
3. जिन्दगी की अन्तर्कथा
4. अच्छाई से अब
5. दुश्मनों में नहीं दोस्तों
6. कानून क्या करे
7. बेड़ियां अनगिनत हैं पाँवों में
8. कितने जज्बात हमारे
9. किसी के हाथ में खंजर
10. बुरी सबही नजर डाले
11. गुनाहों के निशां ये चेहरे ये नजारे
12. लहू में भीगती शामों सहर है
13. तपती हुई दुपहरी
14. लाँघ पाता है नहीं
15. अदब - तहज़ीब की दौलत
16. निकलेगा तीर आखिर कभी तो
17. बेकार आसमाँ की तरफ
18. कब रुई कब है धुआँ
19. अभी दुनिया उलट पायी
20. जब तपा सागर का सीना
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