कहानी संग्रह >> ट्वीट कहानियाँ ट्वीट कहानियाँडॉ. लता कादम्बरी गोयल
|
0 5 पाठक हैं |
छोटी-छोटी कहानियाँ
डॉ. लता कादंबरी एक व्यवसायी हैं, परंतु लेखिका भी हैं। मेरा संबंध उनके लेखन संसार से है। उन्होंने कविता, कहानी, रिपोर्ताज, यात्रावृत्तांत, लेख आदि लिखे हैं तथा उनकी पहचान लघुकथाकार के रूप में होने लगी है। उनका पहला लघुकथा संग्रह 'बोनसाई कहानियाँ' वर्ष 2015 में छपा था। इसमें उनकी 216 लघुकथाएँ हैं। अब इनका यह दूसरा लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो रहा है और इसमें उनकी 85 लघुकथाएँ हैं। इधर दो लघु विधाएँ बहुत प्रचलित हैं-लघुकथा और हाइकु। हाइकु जापानी दोहा है, परंतु हिंदी ने अनेक हाइकुकार हाइकु लिख रहे हैं। हाइकु चूँकि विदेशी काव्य-विधा है, अत: उसके मर्म को समझना आवश्यक है। लघुकथा तो भारत की ही विधा है और यह कथा-वंश की ही संतान है। अतः उसे लिखना आसान है, क्योंकि इसमें रोजमर्रा की हृदयस्पर्शी घटनाओं, प्रसंगों एवं परिदृश्यों को अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में व्यक्त किया जाता है।
हिंदी में उपन्यास, कहानी, लघुकथा एक ही वंश की संतानें हैं, लेकिन लघुकथा अपने सीमित शब्दों के कारण रचना के समय सिद्धहस्त कौशल घटनाएँ होती हैं, जिन पर उपन्यास, कहानी और लघुकथा लिखी जा सकी हैं, परंतु; लेखक का यह कौशल है कि वह इसे पहचान दे कि; कौन सा प्रसंग, कौन सी घटना लघुकथा के अनुरूप है। यदि यह रचना-कौशल नहीं है तो इसके अभाव में लिखी गई लघुकथाएँ भी निरर्थक शब्दों का जंजाल बनकर रह जाएँगी।
डॉ. लता कादंबरी की लघुकथाएँ मैं पढ़ गया हूँ। उनमें लघुकथाकार के गुण हैं तथा जीवन की विविध मार्मिक घटनाओं पर उनकी बारीक दृष्टि है। लघुकथा जीवन की सच्चाई बताती है और ऐसी सच्चाइयाँ लताजी की लघुकथाओं में मिलेंगी। जीवन को हम सब देखते हैं, परंतु उन्हें रचना में उतारन आसान नहीं होता। लघुकथा में जो कथा का तत्त्व है, उसे रचनाकारों को भूलना नहीं चाहिए। इस लघुकथा संग्रह में कुछ लघुकथाएँ इसी कोटि की हैं, जो अपने साथ कथा के तत्त्वहं के साथ लिखी गई हैं। मैं डॉ. लता कादंबरी को इसके लिए बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि वे लघुकथाएँ लिखती रहेंगी और एक दिन मास्टरपीस लघुकथा की रचना अवश्य करेंगी।
- कमल किशोर गोयनका
केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
भारत सरकार
|
- अपनी बात