कविता संग्रह >> राम जियावन बाँच रहे हैं राम जियावन बाँच रहे हैंशैलेन्द्र शर्मा
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कविता संग्रह
अपनी ही बोयी व्यथा, काट रहे हैं लोग
पर कहते बिधि ने लिखा, यह कैसा दुर्योग.
- शैलेन्द्र शर्मा
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- आम आदमी की आवाज
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