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कविता संग्रह >> ऊसर में टेसू खड़े

ऊसर में टेसू खड़े

शैलेन्द्र शर्मा

प्रकाशक : बेस्ट बुक बडीज प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :119
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16062
आईएसबीएन :978-9388-946-86-5

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दोहा-संग्रह

यति गति-सुर-लय-ताल में, कसा हुआ प्रारूप
नहीं जरूरी है सदा, हो कविता का रूप.

कविता तो कविता वही, हो कैसा भी छंद
आत्मसात करके जिसे, विष भी हो मकरन्द.

हो तुकान्तमय काव्य तो, अच्छी है यह बात
पर तुकबन्दी तो महज, बिन दूल्हा बारात.


कविता का पर्याय जब, केवल बुद्धि-विलास
तब उसकी सामर्थ्य क्या, जग में भरे उजास.

यश-अपयश सुख-दुःख में, किये नहीं परवाह
सचमुच वे ही कर सकें, कविता का निर्वाह.

विचलित कभी न कर सका, जिसे मान अपमान
उस कवि ने ही जगत में, छोड़े अमिट निशान.

- शैलेन्द्र शर्मा

प्रथम पृष्ठ

    अनुक्रम

  1. 'ऊसर में टेसू खड़े' की संवेदनात्मक व्यंजना

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