|
कविता संग्रह >> महामानव - रामभक्त मणिकुण्डल महामानव - रामभक्त मणिकुण्डलउमा शंकर गुप्ता
|
5 पाठक हैं |
||||||||||
युगपुरुष श्रीरामभक्त महाराजा मणिकुण्डल जी के जीवन पर खण्ड-काव्य
अन्त में, अपने जीवन की अभीष्ट कृति को हम समर्पित करना चाहते है उन महान व्यक्तित्वों को जिनके बिना इस संसार में मेरा अस्तित्व ही सम्भव नहीं था। अखिल भारतवर्षीय श्री अयोध्यावासी वैश्य महासभा के संस्थापक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मेरे पितामह कीर्तिशेष पुत्तूलाल गुप्ता, पूज्य पितामही जगरानी देवी, पूज्य पिता स्मृतिशेष भगौती प्रसाद गुप्त एवं पूज्य माता गोलोकवासी गोदावरी गुप्ता को पूर्ण श्रद्धा के साथ प्रस्तुत कृति 'महामानव' समर्पित करता हूँ। निश्चय ही पूर्वजों की कृपा एवं आशीर्वाद से ही आज आप लोगों के समक्ष यह कृति ग्रन्थ रूप में प्रस्तुत है। सर्वान्त में, पाठकों एवं सुधीजनों से अनुरोध है कि सकारात्मक भाव से प्रस्तुत ग्रन्थ का पठन, अध्ययन कर लाभान्वित हो तथा अपने विचारों से मुझे भी अवगत करायें। इस हेतु मैं आपका हृदय से आभारी रहूँगा।
- उमाशंकर गुप्त
११६/४५६, दर्शनपुरवा,
कानपुर-२०८०१२
मो० ६६१८१२५३३३
|
|||||












