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हास्य-व्यंग्य >> ओ पप्पू आंख मारे

ओ पप्पू आंख मारे

डॉ. आलोक सक्सेना

प्रकाशक : किताबघर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16084
आईएसबीएन :9789392889011

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अनुक्रम

       अलबत्ता, आप तो चैन से सोइए... वो सरहद पर जाग रहे हैं

       माँ ने रंग दिया बसंती चोला

       जिद्दी हैं हमारे फ्लाइंग ऑफिसर, लेकर ही माने राफेल

       नोटबंदी - हम सब कतार में हैं

       राज को राज रहने दो

       शिक्षक दिवस के सम्मान का हक

       बाबागिरी स्टार्टअप के नुस्खे यानी गुर

       चेला बनाओ, मेवा पाओ

       लो आ गया हिन्दी माह, चिंतन और चिंता जारी है

       नए साल का धमाल और महान भारत

       छूटभरी हार्दिक शुभकामनाएं

       वे फेसबुक से अभिभूत हुए

       गर्म पकौड़ा राजनीति

       आइए पकौड़ा कोचिंग संस्थान में प्रवेश लीजिए

       चलो मीटिंग करें और फेडरेशन बनाएं

       घोटालागिरी

       ऊंट किस करवट, जनाब !

       ओ पप्पू आंख मारे

       रुपया संघर्षरत है, जनाब

       सरकार पलटने का दमखम

       लेखक - प्रकाशक संवाद

       आओ चुनाव आओ तुम्हारी जरूरत है

       पुस्तक मेला और मिश्रा जी का लेखन कारनामा

       बात-बतंगड़ में बजट

       आओ नव चौकीदार का चयन करें

       परिवर्तन जारी है, जनाब

       व्हाट्सएप का ठेंगाधर्मी प्रयोग

       अब आएंगी, आयुरएलो और होम्योएलो दवाईयां

       है प्याजराज तुम और चढ़ो

       कोरोना के बहाने पति-पत्नी शोध प्रबंध

       अब धरनालय चाहिए धरने के लिए

       संपादक के साथ वारदात

       ऑक्सीजन की चिट्ठी

       ...और फिर मन की बात और संकल्प से सिद्धि

★       जनाब, रिक्त स्थान तो भरना ही होगा

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