संस्कृति >> लोक कवि-ईसुरी लोक कवि-ईसुरीडॉ. एम एल प्रभाकर
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लोक कवि-ईसुरी
समर्पण
माथे पर हिन्दी के बिन्दी,
बुन्देली की जेहिं धरायी।
बुन्देलखण्ड के कोकिल कहियत,
चौकड़ियाँ नौनी जिनने गायी।
रजऊ बहाने कविता कीन्हीं,
रसराजा कृति धार बहायी।
लोककवि ईसुरी कृति समर्पित,
श्रृंगारिक कविता जेहिं अपनायी।
- डॉ. प्रभाकर
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- अनुक्रम
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