भारतीय जीवन और दर्शन >> एकात्म मानव दर्शन एकात्म मानव दर्शनडॉ. श्याम बाबू गुप्त
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एकात्म मानव दर्शन
आत्मनिवेदन
अर्थशास्त्र का कार्य सिद्धान्त प्रतिपादन नहीं है; अपितु वर्तमान सन्दर्भ में सिद्धान्तों की विवेचना कर सुयोग्य व्यवस्था का निर्माण करना भी है; जिस पर चल कर अधिकतम मानव कल्याण किया जा सकता है। यदि अर्थशास्त्र ऐसा नहीं कर सका तो अर्थशास्त्र 'अर्थशास्त्र' नहीं अनर्थशास्त्र हो जायेगा।
- अन्त्योदय
- (सर्व स्पर्शी व्यवस्था)
- गाँव गरीब किसान
- झोपड़ियों का इन्सान
- बेरोजगार नौजवान
- महिलाओं का सम्मान
- नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान
- बच्चों को शिक्षा का वरदान
- सबका विकास सबका उत्थान
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- अनुक्रमणिका
अनुक्रम
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