नई पुस्तकें >> शब्द-शब्द परमाणु शब्द-शब्द परमाणुजय प्रकाश त्रिपाठी
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शस्त्र का अर्थशास्त्र और तीसरा विश्वयुद्ध : शब्द-शब्द परमाणु
पूर्वारंभ : बर्बर युद्ध-आर्थिकी के विरुद्ध
वह बोली- हम कब मिलेंगे?
मैंने कहा- युद्ध समाप्त होने के एक साल बाद।
उसने कहा- युद्ध कब समाप्त होगा?
मैंने कहा- जब हम मिलेंगे (महमूद दरवेश)
युद्ध, विश्वयुद्ध से भुखमरी तक हमने समय को जितने रंगों में धुंआ-धुंआ, आदमी को ठठरियां होते देखा, जाना, भोगा है, लकड़बग्घों की हंसी में सब दफ्न होता गया है जैसे, इतिहास की ओर से भी। जब दफ्न ही होना है तो लिखा जाना भी आख़िर क्यों! क्योंकि आगे का वक़्त ये झुठला न सके कि कोई सनद नहीं, गवाही नहीं। युद्धों से, भुखमरी से, महामारियों से मौत के साथ, कुछ और भी मिला है- दुनिया को दो हिस्सों में विभाजित करने वाली ताकतों का तांडव। यहां बातें युद्धों की, बीतें दो विश्वयुद्धों की, और पूरी दुनिया के दिल-दिमाग को मथ रहे उस तीसरे विश्वयुद्ध की, जिसको महाशक्तियां अपने-अपने बाज़ार के नशे में, वैसे तो मुद्दत से हवा दे रहीं, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ऐसे अंदेशे कुछ ज्यादा ही सघन हो उठे हैं।
युद्धोन्मत्त महाशक्तियों और उनके पिछलग्गुओं ने किस तरह पूरे विश्व में हर आम आदमी की आर्थिकी को हाशिये पर डाल रखा है, सिर्फ इस बात से पता चल जाता है कि वर्ष 2021 में पहली बार दुनिया में रक्षा बजट 20 खरब डॉलर (1,620 खरब रुपए) से भी ज्यादा हो गया। दुनिया ने इससे पहले कभी हथियारों एवं अन्य सुरक्षा उपकरणों आदि पर इतना बजट नहीं झोंका था। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की एक ताज़ा स्टडी बताती है कि वर्ष 2021 में रक्षा खर्च के सारे रिकॉर्ड टूट गए। मुद्रास्फीति के आधार पर बदलाव के बाद सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में दुनिया में रक्षा खर्च 0.7 प्रतिशत तक बढ़कर 21.13 खरब डॉलर तक पहुंच गया। इससे साफ है कि कोविड-19 के दोनों वर्षों (2020-21) में भी रक्षा बजट उछाल पर रहा, जबकि उस दौरान अर्थव्यवस्था ढह रही थी और महाशक्तियां सैन्य खर्च को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा रही थीं। उन दो वर्षों में सैन्य मद में सबसे ज्यादा दुनिया के पांच देशों अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस ने बजट झोका। अपने रक्षा बजट में 33 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी कर चुका भारत विश्व में तीसरे नंबर पर 76.6 अरब डॉलर (58 खरब रुपए से ज्यादा) खर्च कर रहा है, जो 2020 के मुकाबले 2012 में 0.9 प्रतिशत ज्यादा रहा है।
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