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आदमी का डर
आदमी का डर
प्रकाशक :
भारतीय ज्ञानपीठ |
प्रकाशित वर्ष : 2019 |
पृष्ठ :190
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 16251
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आईएसबीएन :9788126330010 |
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हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार शेखर जोशी ‘नयी कहानी’ रचना-आन्दोलन के व्यापक जनोन्मुख आयाम को प्रशस्त करने वाले रचनाकार हैं। उनके ‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह में अट्ठाईस कहानियाँ संगृहीत हैं। ‘कोसी का घटवार’ जैसी कालजयी कहानी के लेखक शेखर जोशी वस्तुतः मध्यवर्गीय भारतीय जीवन की छोटी-छोटी त्रासदियों/कठिनाइयों/दुविधाओं के तलघर में पैठकर जीवन की उज्ज्वल धूमिल सच्चाइयाँ उजागर करते हैं। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि ‘फैक्ट्री लाइफ़’ या श्रमिक जीवन पर इतनी सघनता से लिखने वाले वे सर्वोपरि लेखक हैं। ‘बदबू’, ‘नौरंगी बीमार है’, ‘हेड मैसेंजर मन्टू’, ‘आशीर्वचन’ जैसी उनकी प्रसिद्ध कहानियों का ख़ास जीवन इस संग्रह में शामिल ‘आख़िरी टुकड़ा’, ‘प्रतीक्षित’ आदि में विस्तार पाता है।
‘आदमी का डर’ की सभी कहानियाँ इस दृष्टि से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें शेखर जोशी के ‘रचनात्मक स्वभाव’ के सूत्र समाहित हैं। पर्वतीय अंचल के प्रसंग, गृहस्थी के खटराग, नैतिकता के असमंजस और विकास के स्याह-सफ़ेद आदि इन कहानियों में देखे-पढ़े जा सकते हैं। शेखर जोशी की कहानियों में स्त्रियों की स्थिति इस तरह चित्रित है कि विमर्श के ‘डमरूवाद’ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। इस संग्रह का प्रकाशन एक ऐसे समय में हो रहा है जब ‘मितकथन’ या ‘कथावस्तु-सन्तुलन’ से घबराकर कुछ कहानीकार विवरणों-ब्योरों के ‘अवांछित अरण्य’ में पैठते जा रहे हैं, शेखर जोशी की कहानियाँ इस सन्दर्भ में एक आईना दिखाती हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से शेखर जोशी की विशिष्ट पहचान है। सहजता और सार्थकता के अपने प्रतिमान वे स्वयं हैं।
‘आदमी का डर’ कहानी-संग्रह पाठकों को जीवन की वास्तविक विविधता से रूबरू करायेगा, ऐसा विश्वास है।
—सुशील सिद्धार्थ
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