लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> महाकाल का सन्देश

महाकाल का सन्देश

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16271
आईएसबीएन :000000000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

Mahakal Ka Sandesh - Jagrut Atmaon Ke Naam - a Hindi Book by Sriram Sharma Acharya

¤ ¤ ¤


आत्म-वंचना में मत भटको। दम्भ का आश्रय मत लो। केवल अपने ही स्वर्ग या मुक्ति, सुख के स्वार्थ में मत डूबो। यह शर्म की बात है कि अब तक तुम अपना जीवन केवल सोने, गप्प लड़ाने और निरर्थक कार्यों के पीछे व्यर्थ बिताते रहे। अब समय निकट आता जा रहा है। अब भी विलम्ब नहीं हुआ है। इसी समय से निष्कपट और सच्चाई धारण करो। सच्ची सेवा का मार्ग तलाश करो। लोक कल्याणकारी सत्कार्यों में जुट जाओ। इस प्रकार तुम अपने को भगवान् का कृपापात्र बना सकोगे।

(अखण्ड ज्योति-१९४५, अक्टूबर)

¤ ¤ ¤


केवल कल्पना ही कल्पना मनुष्य के लिए अहितकर है। हमारे विचारों में क्रिया कासमन्वय अवश्य होना चाहिए। जो व्यक्ति उत्साहपूर्वक कार्य में प्रविष्ट होता है, वही विजयी भी होता है। जो केवल माला जपने में रहेगा, स्वयंपरिश्रम न करेगा, उसे कुछ भी प्राप्त न होगा। हम मानते हैं कि विचार में प्रबल शक्ति है, किन्तु विचार में शक्ति तब ही है, जब उसे अंकुरित होने कासुअवसर प्राप्त हो। जो विचारों के प्रवाह को अवरुद्ध करता है, वह अपनी उन्नति को पीछे धकेलता है। जो विचारों में क्रिया का योग नहीं देता, वहविचारों के अंकुरों को पल्लवित होने से, उन्हें फलित होने से रोकता है।

(अखण्ड ज्योति-१९४७, सितम्बर-१६)

¤ ¤ ¤


किसी के उपदेश की सत्यता की जाँच लोग उसके आचरण से ही किया करते हैं। इसलिए यदिज्ञानी पुरुष स्वयं उपदेश अनुरूप आचरण-सत्कर्म नहीं करेगा, तो वह जनसामान्य को आलसी एवं निरुत्साही बनाने का एक बहुत बड़ा कारण हो जाएगा।

(अखंड ज्योति-१९४८, मार्च)

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book