लोगों की राय

कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत

वाह रे पवनपूत

असविन्द द्विवेदी

प्रकाशक : गुफ्तगू पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :88
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16273
आईएसबीएन :9788192521898

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य

शुभाशीष

प्रिय असविन्द द्विवेदी का यह ‘वाह रे पवनपूत' काव्य मैंने एक ही बैठक में रचनाकार से ही सुना। अवधी भाषा में रचित यह काव्यछन्द विधान भाव वैभव से परिपूर्ण है। काव्य के कई छन्द तो ऐसे हैं कि कवि को आचार्यों की कोटि में सम्मिलित करने में पूर्ण समर्थ है। मैं तो ऐसी आशा ही नहीं रखता था कि इतनी कम उम्र का यह (असविन्द) किशोर कवि इतने भाव भरे छन्द और वह भी छन्द विधान में लिख लेगा। आज प्रातःकाल ही मुझे यह सुअवसर अपनी ही बैठक में बैठे-बैठाये मिल गया। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है, मुख्य रूप से यह जानकर कि बोलियों में लिखी जाने वाली कविताएँ अपने पूरे सरस-सुगंधित प्रवाह में चल रही हैं। बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

मेरे पास कवि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक आशीष के सिवा और है ही क्या? सो उसे मैं दे रहा हूँ। मेरा मन पूरम्पूर प्रफुल्लित है। जियो बेटे असविन्द।

भाद्र तीज पर्व 98

चन्द्रशेखर मिश्र

अस्सी, वाराणसी

 

 


...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book