नई पुस्तकें >> पगडंडी में पहाड़ पगडंडी में पहाड़जे पी पाण्डेय
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हिमाच्छादित पहाड़ की छटा, उनमें उमड़ते-घुमड़ते मखमली बादल, दूर तक कल-कल करते झरनों-सरिताओं के स्वर, देखने-सुनने में जितने मनमोहक होते हैं, वहाँ का जीवन उतना ही कठिन होता है। कभी भूस्खलन तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएँ आमतौर पर देखी जाती हैं। सुख-सुविधाओं की पहुँच पहाड़ों में अत्यंत दुर्लभ है। ऐसे स्थानों में पर्यटन का रोमांच अपने आप में चुनौतीपूर्ण, आनंददायक और कौतूहलपूर्ण होता है। लेकिन एक लेखक जब ऐसे स्थानों पर भ्रमण करता है तो वह न केवल पहाड़ों की बसावट और खूबसूरती को कलमबद्ध करता है, बल्कि वह वहाँ के दर्शन को भी सबके सामने लाने का प्रयास करता है। इसी तरह के शब्द-चित्र इस पुस्तक में लेखक द्वारा उकेरे गए हैं। वह दुर्गम और नितांत स्थानों में विचरण करते हुए अपने यात्रा-वृत्तांत को आगे बढ़ाते हैं और पहाड़ों की रानी मसूरी से लेकर झड़ीपानी फॉल परी-टिब्बा होते हुए चारधाम की मानसिक यात्रा का सहयात्री अपने पाठकों को भी बनाते हैं।
अनुक्रम
★ पहाड़ों की रानी मसूरी
★ झड़ीपानी-फॉल
★ संगम-फॉल
★ मॉसी-फॉल
★ शिखर-फॉल एवं राजपुर रोड
★ गलोगी पावर हाउस एवं भट्टा-फॉल
★ परी टिब्बा
★ विनोग-टॉप
★ जबरखेत नेचर रिजर्व
★ मसूरी में एक दिन-नाग मंदिर से बुद्ध मंदिर तक
★ भद्रराज मंदिर
★ मसूरी के पार खट्टा पानी
★ सुरकंडा एवं धनौल्टी
★ सहस्त्रधारा तक
★ कुमाऊँ दर्शन
★ चारधाम यात्रा
★ हेमकुंड साहेब एवं फूलों की घाटी
★ नाग टिब्बा
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