जीवनी/आत्मकथा >> महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे : जीवन और कार्य महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे : जीवन और कार्यगो मा पवार
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मुझे अक्सर एक बात को लेकर खेद होता है। विट्ठलराव ने अछूतों के प्रश्नों को हल करने का कार्य किया। इसके लिए चरमसीमा तक त्याग कर उन्होंने और उनके परिवारवालों ने पूरे देश में जागृति उत्पन्न की। इस प्रश्न को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का कष्ट भी उन्होंने ही उठाया, लेकिन आजकल अछूतों की उन्नति के मुद्दे का जब-जब उल्लेख किया जाता है तब-तब इसका श्रेय सिर्फ उन्हें ही दिया जाता है जिन्होंने इस सन्दर्भ में केवल वाचिक कार्य किया है। और भारतीय निराश्रित साह्यकारी मंडली और विट्ठल रामजी शिंदे को सुनियोजित तरीके से बहिष्कृत कर उनका भूल से भी नामोल्लेख नहीं किया जाता। ऐसे संघटित बहिष्कार से सचाई खो जाती है।
वामन सदाशिव सोहोनी
आत्मनिवेदन, मुम्बई, 1940
विट्ठल रामजी शिंदे मेरे चार गुरुओं में से एक थे। अपने जन्मदाता के बाद मैं उन्हें ही मानता हूँ। उनसे ही मैंने सार्वजनिक कार्य का पाठ सीखा। यद्यपि उम्र में वे मुझसे छोटे थे, इसके बावजूद राष्ट्रहित सम्बन्धी आन्दोलन में उनकी बड़ी गति थी। यह सर्वज्ञात है कि वे मुम्बई प्रान्त के अस्पृश्य वर्ग के सुधार-आन्दोलन के जनक थे। पंजाब और उत्तर प्रदेश छोड़कर पूरे भारत में इस प्रकार का कार्य आरम्भ करनेवाले वे पहले पुरुष और इस कार्य के अग्रदूत थे।
अमृतलाल वी. ठक्कर उर्फ ठक्करबप्पा
इंडियन सोशल रिफॉर्मर, 8 अप्रैल, 1944
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