जीवन कथाएँ >> क्रांतिकारी दुर्गा भाभी क्रांतिकारी दुर्गा भाभीसत्यनारायण शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
गुजराती ब्राह्मण परिवार में जन्मी क्रांतिकारी विचारों की दुर्गा भाभी ने पति भगवती चरण बोहरा के साथ सशस्त्र स्वाधीनता आदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। भगवती चरण बोहरा की शहादत के बाद थी उनके कदम नहीं रुके; बल्कि वे और अड़िग व दृढ़निश्चयी हो गईं। उनके क्रांतिकारी सहयोग ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और महात्मा गांधी के मध्य सेतु का कार्य किया। इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि उनके पुत्र शचीन्द्र बोहरा को भी अपने पास नहीं रख सकीं। बंबई षड्यंत्र केस में वे प्रमुख रहीं। इसके बाद से पुलिस हमेशा उनकी तलाश में रहती और वे हर बार उन्हें चकमा देने में सफल रहतीं। उन्हें पूरा जीवन फरारी में ही जीना पड़ा। आजादी के बाद भी देश के प्रति उनका समर्पण जारी रहा और जीवन के अंतिम चरण में उन्होंने आत्मसमर्पण कर एक शिक्षिका का जीवन जिया। देशहित में वीरांगना दुर्गा भाभी की आहुति पूजनीय है। यह पुस्तक उनके त्याग और संघर्ष पर प्रकाश डालती है।
अनुक्रम
आत्म कथन
भारत में विदेशियों का आगमन
दुर्गा देवी-एक परिचय
भगवती चरण बोहरा-एक परिचय
असहयोग आंदोलन के बाद क्रांति उभार
क्रांतिकारियों का गढ़ ‘नेशनल कॉलेज’
‘नौजवान भारत सभा’ का गठन
‘नोजवान भारत सभा’ का विलय
अध्यापक जयचंद्र और भगवती चरण में मतभेद
साइमन कमीशन का विरोध
भगवती चरण की शहादत
‘दुर्गा’ का क्रांतिकारी सहयोग
दुर्गा भाभी का भगत सिंह को सहयोग
दुर्गा भाभी और बंबई षड्यंत्र केस
दुर्गा भाभी का फरारी जीवन
दुर्गा भाभी की गांधीजी से भेंट
दुर्गा भाभी द्वारा आत्मसमर्पण
दुर्गा भाभी और गाजियाबाद
कांग्रेस छोड़ने के बाद दुर्गा भाभी
दुर्गा भाभी और दिल्ली
पुत्र शचीन्द्र बोहरा
कालक्रम
|