कहानी संग्रह >> फौजी लड़कियाँ तथा अन्य कहानियाँ फौजी लड़कियाँ तथा अन्य कहानियाँचिनुआ अचेबेहरीश नारंग
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अचेबे की श्रेष्ठ कहानियों को हिंदी में अनूदित करने का मुख्य उद्देश्य उनकी कहानियों को हिंदी पाठकों तक पहुँचाने के साथ ही, उन्हें इस सरोकार से भी जोड़ना है कि उपनिवेशवाद ने विभिन्न समाजों में काल एवं स्थान के अंतर के बावजूद एक-जैसी समस्याएँ पैदा की हैं। इन कहानियों का अनुवाद करते समय जो विशेष समस्या उभर कर सामने आई वह थी – अचेबे द्वारा तीन भिन्न भाषाओं-नाइजीरियाई अंग्रेजी, मातृ-भाषा ईबो तथा मिश्रित-भाषा पिजिन और अपने लेखन में इबो मुहावरों का अत्यधिक प्रयोग। इसका मुख्य कारण ईबो लोगों के द्वारा रोजमर्रा की जुबान में मुहावरों का अत्यधिक प्रयोग रहा है जिसमें उनकी विशिष्ट पहचान देखी जा सकती है। इस अंतर को दिखाने के लिए ‘बम्बइया हिंदी’ तथा हिंदी के अन्य स्वरूपों का और विभिन्न बोलियों का सहारा लिया गया है। कहीं-कहीं, जहाँ पर अर्थ प्रसंग से स्पष्ट है, ईबो भाषा के शब्दों का केवल नागरीकरण ही किया गया है ताकि हिंदी के पाठक ईबो भाषा के स्थानीय रंग का मज़ा ले सकें।
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