लोगों की राय

उपन्यास >> अंतर्जली यात्रा

अंतर्जली यात्रा

कमलकुमार मजूमदार

अमर गोस्वामी

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16361
आईएसबीएन :9788126018963

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

अंतर्जली यात्रा प्रख्यात बाङ्ला कवि-कथाकार कमलकुमार मजूमदार द्वारा लिखित इसी नाम के उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है। इस उपन्यास में लेखक ने मध्यकालीन बंगाल की पारंपरिक कुरीतियों का कारुणिक चित्रण किया है। परंपरा का अनुसरण करते हुए मरणासन्न वृद्ध ब्राह्मण सीताराम गंगा तट के श्मशान पंचमुंडी घाट पर लाए जाते हैं। अंतर्जली प्रथा के अनुसार उनके पैरों को गंगाजल में डुबाया गया है, कुलपुरोहित कृष्णप्राण उनके मुख में गंगाजल टपका रहे हैं, उनका सिर उनके बड़े पुत्र बलराम की गोद में है, छोटा पुत्र हरेराम भी पास में ही बैठा है। ये सभी लोग उनकी सद्गति के लिए ‘गंगा नारायण ब्रह्म’ मंत्र का लगातार जाप कर रहे हैं। एक व्यक्ति गीता का पाठ कर रहा है। कीर्तनमंडली उनकी परिक्रमा करते हुए कीर्तन गा रही है। वैद्य बिहारीनाथ बार-बार नाड़ी परीक्षा कर रहे हैं। सभी उनकी मृत्यु की प्रतीक्षा में हैं-लेकिन लक्ष्मीनारायण ज्योतिषी अनंतहरि के साथ मंत्रणा में लगे हैं। वे अपनी कुमारीकन्या यशोवती का विवाह वृद्ध सीताराम के साथ करने के लिए व्याकुल हैं। यथाशीघ्र कन्यादान कर वे आसन्‍न महापातक से बचना चाहते हैं, लेकिन अन्य कोई पात्र न पाकर वे विवश होकर इस विवाह को संभव बनाना चाहते हैं। अंततः यशोवती और सीताराम का विवाह संपन्न करा दिया जाता है। फिर उन दोनों को वहीं छोड़ सब एक-एक कर चले जाते हैं। उनके अलावा वहाँ बस एक चांडाल बैजूनाथ होता है, उपन्यास में आद्योपांत जिसकी उपस्थिति है और जिसकी मारक और विद्रोही टिप्पणियों से कथा-व्यंजना सशक्त और उपन्यास महत्त्वपूर्ण हो उठा है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book