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उपन्यास >> आरण्यक

आरण्यक

विभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय

हंसकुमार तिवारी

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :216
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16400
आईएसबीएन :9789389195606

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विभूतिभूषण वंधोपाध्याय का आरण्यक बाङ्ला और भारतीय साहित्य के उन ग्रंथों में है, जो महान्‌ हैं। और इनमें ही क्यों, किसी भी साहित्य में इसकी मर्यादा यही होगी। यह गद्य प्रगीत है, वन की गीति का काव्य। मानव-पुत्रों के वर्धभान कुल-परिवार को जगह देने के लिए अहल्या वनराजि का उच्छेद होता जा रहा है। इसी उच्छेद की पटभूमि पर लेखक ने सहानुभूति के साथ, तथा बरबस लोहा मनवा लेनेवाली सच्चाई के साथ वन एवं आदिम ग्राम के प्रतिवेश में मानव का चित्र अंकित किया है। इस तरह आरण्यक एक ऐसी कविता है, जिसका विषय प्रकृति भी है और मनुष्य भी, और जो दोनों की ही परम मनोहर छवि उपस्थित करती है। इस छवि का आधार ज्ञान एवं सह-संवेदन, दोनों है।

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