लोगों की राय
संस्मरण >>
धावमान समय
धावमान समय
प्रकाशक :
किताबघर प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2023 |
पृष्ठ :186
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
|
पुस्तक क्रमांक : 16455
|
आईएसबीएन :9789393486615 |
 |
|
0
5 पाठक हैं
|
यह पुस्तक डायरी शिल्प में यात्र संस्मरण भी है, आत्मकथा भी और समय-समय पर किया गया चिंतन-मनन भी। मेरी आत्मकथा ‘अस्ति और भवति’ 2014 में प्रकाशित हुई जिसमें फरवरी, 2013 तक का काल है। कुछ मित्रें का सुझाव था और अब भी है कि आत्मकथा का दूसरा खंड लिखूँ। पर यह संभव नहीं है। कारण यह कि मेरी आत्मकथा अपने आप में एक कलाकृति की तरह संपूर्ण है। उसके स्थापत्य में परिवर्तन संभव नहीं है। बहुत तोड़-फोड़ के बाद भी उसका दूसरा खंड उस रूप में सध नहीं पाएगा। अतः इस डायरी में ही मेरी आगे की कथा भी पढ़ी जा सकती है।
इस डायरी का काल (2013-2017) साहित्य अकादमी का मेरा अध्यक्ष-काल भी है। यह समय मेरे लिए ‘धावमान समय’ रहा है। यात्रएँ इतनी अधिक करनी पड़ी हैं कि सबको अंकित कर पाना संभव नहीं है। फिर भी कुछ यात्र-वर्णन इसमें हैं। विभिन्न भाषाओं के लेखकों से मिलना-जुलना भी बहुत हुआ है पर उनकी भी बहुत सी बातें सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं। हालाँकि अगर मैं कर पाता तो साहित्य का एक मौखिक इतिहास सजीव हो उठता। इसे लेखक की नैतिक सीमा मानकर स्वीकार किया जाना चाहिए।
इस डायरी में अपने निजी प्रसंगों, अनुभवों और विचारों को सहज ढंग से शब्दबद्ध करने की कोशिश है जो डायरी की लय के अनुरूप भी हैं। सच को किसी प्रकार की बनावट या बुनावट में ढका नहीं गया है। एक सक्रिय जीवन में पाँच वर्षों का समय कम नहीं होता। कहने को बहुत था, मगर जितना कह सका, उतना भी कम नहीं है।
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai