नई पुस्तकें >> धुरी से छूटी आह धुरी से छूटी आहलीना मल्होत्रा
|
0 5 पाठक हैं |
हिन्दी कविता के समकालीन संसार में लीन मल्होत्रा एक नितान्त भिन्न स्वर और आस्वाद की कवयित्री हैं। प्रेम जैसे शाश्वत समझे जाने वाले विषय को ये अनूठी नव्यता और समकालीन प्रदान करती हैं। इन कविताओं में, एक मर्मभेदी पुकार है-कभी प्रेम की अपूर्णता के एहसास से और कभी प्रेम की अप्राप्यता के दुख से निकली हुई और कभी एक असम्भव दुनिया में उससे भी असम्भव प्रेम को बचाने के संकल्प से बनी हुई।
|
लोगों की राय
No reviews for this book