नई पुस्तकें >> पंचभूत पंचभूतदेवनाथ पाठक
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समर्पण के इन शब्दों के साथ ही इस रिवायत से फ़ारिग हुआ जा सकता है। लेकिन इस अनुष्ठान में थोड़ी सी संवेदना का संचार तो होना ही चाहिए, क्योंकि वो नज़्म ही क्या जिसमें नुक्ते न हों, वो श्लोक ही क्या जिसमें हलन्त लगे शब्द नहीं। तो इस किताब को उन शिक्षिकाओं-शिक्षकों को समर्पित करना चाहिए जो संघर्षशील हैं।
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