लोगों की राय

नई पुस्तकें >> पोत

पोत

दत्तात्रेय गणेश गोडसे

प्रकाशक : सेतु प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16508
आईएसबीएन :9789395160483

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

दत्तात्रेय गणेश गोडसे का पोत शीर्षक, मराठी कला- समीक्षा सम्बन्धी, ग्रन्थ सन् १९६३ में प्रकाशित हुआ। इस ग्रन्थ के माध्यम से गोडसे जी ने कलात्मक आविष्कार की प्रकृति की खोज करते हुए कला का दर्शन प्रस्तुत किया है। ये विचार साहित्य, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत आदि सभी कलाओं के सम्बन्ध में हैं। साहित्य के अतिरिक्त इसमें ललित कलाओं, विशेषकर चित्रकला, मूर्तिकला, शिल्पकला आदि के अनेक सन्दर्भ मिलते हैं। इस ग्रन्थ में गोडसे ने कलाविष्कार को वस्त्रों के सन्दर्भ में प्रयुक्त पोत की अवधारणा से जोड़ा है। कपड़ा वह है, जो मूल सामग्री से बनता है। जीवन का सिद्धान्त। धागा वह चेतना है जो इस सिद्धान्त को विस्तृत करती है। ताना-बाना यानी इन संवेदनाओं की आड़ी-खड़ी बुनावट । प्रणाली यानी एक ऐसा माध्यम, जो संवेदना का आविष्कार करता है। गोडसे विस्तार से बताते हैं कि प्रणाली के विकास के साथ आविष्कार की बुनावट कैसे बदलती जाती है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book