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अपना समय नहीं

अशोक वाजपेयी

प्रकाशक : सेतु प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16523
आईएसबीएन :9789389830972

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अपने को लिखना और अपने समय को लिखना वैसे तो दो अलग-अलग काम हैं; पर कविता में वे अक्सर घुल-मिल जाते हैं : अपने को बिना अपने समय के लिखना मुमकिन नहीं होता और अपने समय को लिखना बिना अपने को लिखे हो नहीं पाता। भले हम विवश एकान्त में, अनायास आ गये निर्जन में, ज़्यादातर अपने ही साथ रहे पर समय ने होना स्थगित नहीं किया और न ही उसमें हो रहे हिंसा अत्याचार – घृणा – अन्याय में कोई कमी आयी। कभी लगता था कि यह अपना समय नहीं है और कभी कि हमारा समय कितना कम बदला है। ये कविताएँ अपने और अपने समय के बीच ऊहापोह की इबारतें हैं। उनमें चरितार्थ निराशा और विफलता फिर भी भाषा में विन्यस्त अपरिहार्य मानवीयता, शब्दों में रसी-बिंधी ऊष्मा और दीप्ति से, उम्मीद है, अतिक्रमित होती रही है।

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