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जितनी हँसी तुम्हारे होंठों पर

जितेन्द्र श्रीवास्तव

प्रकाशक : सेतु प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16556
आईएसबीएन :9789392228940

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मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ

मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ

इसलिए तुम्हारी देह को भी प्रेम करता हूँ

मैं आकर्षण से भरा हूँ तुम्हारी देह के लिए

इसलिए करता हूँ तुमको प्रेम

यह कहना असंगत होगा पूरी तरह

सखी ! ओ सखी !!

प्रेम में होती है देह

पर देह के बिना भी होता है प्रेम।

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