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सोनाशा

बिट्टू संधू

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16607
आईएसबीएन :9788119028160

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ये ज़िन्दगी!

सिर्फ़ एक कहानी कहाँ है?

हादसों की, मुस्कुराहटों की,

कितनी शाखाएँ हैं…

कितने खुले और बन्द दरवाज़े हैं

कुछ भूले बिसरे से, पुराने मखमल में लिपटे,

उम्रों से बन्द पड़े, दराज़ों में मिले गहने हैं।

ये कभी-कभी कुछ ख़ुशबुएँ भी हैं,

जो जाने कौन-सी दिशा से किस सरहद के पार,

किस ज़हन में घुलीं, एक बेपरवाह बादल पर सवार हम तक पहुँच जाती हैं।

सिर्फ़ एक कहानी कहाँ है?

ये लम्हों की झालर है और इस बार

बिट्टु सफ़ीना संधू की इस झालर को नाम मिला है—‘सोनाशा’।

सोनाशा एक अहसास है ज़रा धीमे

ये उतरना इसके पन्नों की दहलीज़ पर

सोनाशा मुस्कुराहट तो ओढ़ती है

ज़रा सा कुरेदो तो ख़ामोश कुछ चीख़ें भी हैं

जो रूह की गुफा से ज़ुबान तक का सफ़र

तय नहीं कर पाती आँखों में तैर ज़रूर जाती है

कुछ अहसास हैं जो मुहब्बत को इश्क़ और इश्क़

को ख़ुदा बना देने का जिगर रखते हैं पर क्या हो

जब कोई ख़ुदा बनने से डर जाये?

जहाँ ख़ुदा से सजदा भी है, शिकवा भी है

सब कुछ समेट कर कुछ कविताएँ हैं

ये बिट्टु सफ़ीना संधू से जन्मी है भी और नहीं भी…क्योंकि अब जो इसे पाल पोसकर बड़ा किया है, क्या पता कौन सी ‘सोनाशा’ आप में से किस में समा जाए।

—बलप्रीत

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