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आँख का पानी

दीपाञ्जलि दुबे दीप

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16640
आईएसबीएन :978-1-61301-744-9

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दीप की ग़ज़लें

1. विनय माँ सुनो शारदे हम बुलाएँ


विनय माँ सुनो शारदे हम बुलाएँ
ये श्रृद्धा सुमन शब्द तुमको सुनाएँ

करें प्यार अपने वतन से हमेशा
सभी को गले से सदा हम लगाएँ

मुझे शक्ति दे लेखनी माँ सँवारो
सदा देश माँ का लिया ऋण चुकाएँ

कोई माँगने तेरे दर पर जो आये
उसे अपनी रोटी निवाले खिलाएँ

पुरानी सभी रूढ़ियाँ हम मिटा दें
नये कुछ ख़यालात जज़्बात लाएँ

किसी के लिए गर न कुछ कर सकें हम
तो चेहरे पे क्यूँ न हँसी हम सजाएँ

ये अरदास पूरी करो 'दीप' की माँ
सही बात पर ही क़लम हम चलाएँ


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