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आँख का पानी

दीपाञ्जलि दुबे दीप

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16640
आईएसबीएन :978-1-61301-744-9

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दीप की ग़ज़लें

3. काफ़िया मिला लेना शाइरी न समझा जाए


काफ़िया मिला लेना शाइरी न समझा जाए
गीत बेसुरा गाना नग़्मगी न समझा जाए

जो विदेशी आते हैं उनको यह बता हम दें
जामुनों को खाकर है रस भरी न समझा जाए

दर्द है मुहब्बत में जान भी ये ले लेती
यह मेरी इबादत है बेबसी न समझा जाए

आँसुओं की जल धारा बह रही है आँखों से
बारिशों के पानी को मौसमी न समझा जाए

लिख रही हूँ दिल से मैं रोज ही ग़ज़ल कहती
शेर जो कहा मैंने आखिरी न समझा जाए

दुश्मनों के खेमे में जा रहा सुलह करने
सन्धि करने को मेरी बुजदिली न समझा जाए

'दीप' हम जला देंगे रौशनी भी कर देंगे
रोशनी जो कम हो तो तीरगी न समझा जाए

 

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